योग भारत की ही देन है जो आज संपूर्ण विश्व में फैला हुआ है। इस बात को पूरी दुनिया मान चुकी है। वैसे तो भगवान शिव को आदियोगी कहा जाता है यानी महादेव से ही योग की उत्पत्ति हुई है, लेकिन वर्तमान में योग को बुलंदियों पर पहुंचाने में इसके महर्षि पतंजलि का महत्वपूर्ण योगदान है। महर्षि पतंजलि को आधुनिक योग का जनक भी कहा जाता है। पिछले कुछ समय में महर्षि पतंजलि के बारे में काफी शोध हुए हैं, उसी के आधार पर उनके जन्म का स्थान भी निश्चित किया गया है। जानिए महर्षि पतंजलि से जुड़ी खास बातें.
1. पुरातत्व की जानकारी रखने वाले नारायण व्यास के अनुसार, करीब 200 ईसा पूर्व यानी करीब दो हजार साल से भी पहले महर्षि पतंजलि का जन्म गोंदरमऊ नामक स्थान पर हुआ था। इस बात की पुष्टि पतंजलि द्वारा लिखे गए महाभाष्य से की जा सकती है। कुछ समय यहां करने के बाद यहां पतंजलि बिहार के मगध इलाके में चले गए थे।
2. महर्षि पतंजलि पर शोध करने वाले मप्र पुलिस के पूर्व डीजी सुभाष चंद्र त्रिपाठी की मानें तो पतंजलि का जन्म स्थान जिस गांव यानी गोंदरमऊ में हुआ था वो कौशांबी (वर्तमान में उत्तर प्रदेश का एक प्राचीन शहर) से उज्जैन (मध्य प्रदेश का एक प्राचीन शहर) के बीच किसी मार्ग पर स्थित था।
3. इस मार्ग पर साधु-संतों का आना-जाना काफी होता था। इस रास्ते पर आने-जाने वाले साधु-संतों से ही महर्षि पतंजलि को मार्गदर्शन मिला था। महाभाष्य के अलावा किसी और ग्रंथ में पतंजलि और गोंदरमऊ के बारे में जानकारी नहीं है।
4. गोंदरमऊ गांव में ही महर्षि पतंजलि का एक आश्रम भी था। यहीं उन्होंने संसार के पहले योग ग्रंथ अष्टांग योग की रचना की यानी इसके पहले योग पर कोई भी दस्तावेज लिखित रूप में नहीं था। इस ग्रंथ में योग के बारे में काफी विस्तार पूर्वक बताया गया है।
5. महर्षि पतंजलि का नाम आने पर अक्सर पाणिनी का भी जिक्र होता है। कुछ विद्वानों के अनुसार पतंजलि ने काशी में पाणिनी से शिक्षा ली थी और बाद में उनके शिष्य की तरह काफी काम भी किए। भारतीय साहित्य में महर्षि पतंजलि द्वारा लिखे गए 3 ग्रंथ मिलते हैं। योगसूत्र, अष्टाध्यायी पर भाष्य और आयुर्वेद पर ग्रन्थ। हालांकि इन रचनाओं को लेकर भी अलग-अलग मत है। कुछ लोग इसे अलग-अलग विद्वानों द्वारा लिखे ग्रंथ मानते हैं।
6. महर्षि पतंजलि को शेषनाग का अवतार भी माना जाता है। इसलिए कुछ चित्रों में इनका स्वरूप शेषनाग से मिलता-जुलता पाया जाता है। हालांकि ये सिर्फ मान्यता है इस तथ्य का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता। महर्षि पतंजलि को संत पणिनी का शिष्य भी बताया जाता है।
7. अष्टाध्यायी पर टीका पतंजलि की अकेली उपलब्धि नहीं, बल्कि सबसे ज्यादा इन्हें योग के लिए जाना जाता है। उन्होंने योग सूत्र लिखा, जिसमें कुल 196 योग मुद्राओं को सहेजा गया है। बता दें कि पतंजलि से पहले भी योग था लेकिन उन्होंने इसे धर्म और अंधविश्वास से बाहर निकाला और एक जगह जमा किया ताकि जानकारों की मदद से आम लोगों तक पहुंच सके। योग को ध्यान के साथ भी जोड़ा ताकि शरीर के साथ मानसिक ताकत भी बढ़े।