आज के जमाने में ऐसे विरले ही होंगे, शायद न के बराबर, जिन्होंने समाज सेवा
बस एक साल और पूरे 25 साल हो जाएंगे….हिन्दी मेले को। पहली बार आई तो
सुषमा त्रिपाठी जीवन में आश्वस्ति हो तो संघर्ष आसान हो जाते हैं और पुस्तकालयाध्यक्ष आश्वस्त