न्याय के लिए लोग कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं ताकि उन्हें जल्दी से अपने विवाद का समाधान मिल जाए। लेकिन कई बार न्याय मिलने में इतनी देरी हो जाती है कि वादी के परिवार वालों को कई सालों के बाद न्याय मिल पाता है।
इस वक्त देश के हाईकोर्ट में 38 लाख 50 हजार मुकदमे चल रहे हैं, जिनका निपटारा नहीं हुआ है। जब देश की हाईकोर्ट का यह हाल है तो आप समझ सकते हैं कि जिला अदालतों में कितनी संख्या में मुकदमें लंबित होंगे।
हालांकि इसमें 2014 की तुलना में काफी कमी आई है। तब पूरे देश में 41 लाख से अधिक मुकदमें केवल हाईकोर्ट में लंबित थे। सरकार देश की हाईकोर्ट में मुकदमों की संख्या में कमी करने के लिए काफी काम कर रही है। इसके लिए प्रगति प्लेटफॉर्म और ग्राम न्यायलयों की स्थापना की जा रही है।
महिलाओं पर होते है हर साल 3 लाख से अधिक जुर्म – भारत में महिलाएं सबसे ज्यादा अत्याचार और जुर्म की शिकार होती हैं। यूएनडीपी के आंकड़ों के अनुसार, हर साल 3 लाख से अधिक जुर्म केवल आधी आबादी पर होते हैं। 2014 में अकेले महिलाओं और बच्चियों को मानव तस्करी में धकेलने के 5466 मामलें सामने आए थे।
निर्भया कांड के बाद लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई सारे सख्त कदम सरकार ने उठाए थे, लेकिन इसके बावजूद भी आज भी महिलाएं के साथ रेप, तेजाब फेंकना, जला देना जैसी घटनाओं में किसी तरह की कोई कमी नहीं आई है।
इन सब घटनाओं के बीच अभी तक 30734 लोगों को आर्म्स एक्ट के तहत कारवाई की गई है। आपसी लड़ाई में रोजाना पूरे विश्व में 1300 लोगों की मौत रोजाना होती है, जो कि किसी युद्ध में मारे जाने वालों की संख्या से 9 गुणा अधिक है। भारत में हर साल सरकार के संरक्षण में 2 लाख लोग शरणार्थी देश में आकर के बसते हैं।