जीएसटी काउंसिल तय किया है कि अब सिर्फ 50 वस्पतुओं र ही 28 प्रतिशत का अधिकतम टैक्स देना होगा। इस बात की जानकारी देते हुए काउंसिल के अहम सदस्य औऱ बिहार के डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि जीएसटी परिषद ने 28 प्रतिशत कर दायरे में ज्यादातर लग्जरी, गैर-जरूरी और अहितकर आइटम सहित केवल 50 वस्तुओं को ही रखने का फैसला किया है। इस बैठक में असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वा शर्मा की अगुआई में गठित मंत्री समूह (GoM) द्वारा कंपोजीशन स्कीम के तहत 1 फीसदी छूट और नॉन एसी रेस्ट्रॉन्ट पर टैक्स घटाने की सिफारिश पर भी विचार किया गया। राज्यों के वित्त मंत्रियों वाला समूह जीएसटी रिटर्न फाइलिंग की प्रक्रिया पर भी विचार हुआ और इसे टैक्सपेयर फ्रैंडली बनाने की बात हुई। GST लागू होने के वक्त कहा गया था कि 4 महीने बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुआई में पैनल समग्र रूप से टैक्स दरों की समीक्षा करेगा। इसके अलावा रिटर्न फाइलिंग को आसान बनाने और छोटे व मध्यम उद्योगों के लिए राहत की घोषणा की जा सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं जैसे, शैंपू पर टैक्स में कटौती संभव है। इसे अब 18 फीसदी टैक्स स्लैब में लाया जाएगा। फर्नीचर, इलेक्ट्रिक स्वीच और प्लास्टिक पाइप पर भी राहत मिलेगी। पहले 227 सामान ऐसे थे जिनपर जीएसटी देना होता था। सुशील मोदी ने बताया कि पहले 62 आइटमों को सबसे उच्च कर वाले दायरे में रखा जाना था, लेकिन मीटिंग में काफी चर्चा के बाद कुछ और आइटम उस कैटिगरी में से कम किए गए। अब सिर्फ 50 आइटमों पर ही 28 प्रतिशत टैक्स लगेगा। उन्होंने बताया कि आफ्टर शेव, डिओड्रेंट, वॉशिंग पाउडर, ग्रेनाइट और मार्बल जैसे आइटमों पर अब 18 पर्सेंट टैक्स लगेगा।इसके साथ ही एयरकंडीशन्ड रेस्तरांओं में परोसे जाने वाले भोजन पर भी जीएसटी को 18 फीसदी से घटाकर 12 फीसदी करने पर फैसला इसी बैठक में किया जा सकता है। काउंसिल उन सेक्टर्स में रेट कटौती कर सकती है, जिनमें पुराने टैक्स सिस्टम के तहत वस्तुओं पर एक्साइज से छूट मिली हुई थी या कम वैट लगता था और अब इनपर टैक्स अधिक हो गया है। काउंसिल टैक्स दरों पर उद्योगों की चिंताओं को दूर करना चाहती है इसलिए राजस्व पर असर का अनुमान लगाने के बाद 28 फीसदी टैक्स स्लैब की वस्तुओं पर टैक्स कटौती की जा सकती है। जीएसटी लागू होने के बाद जीएसटी में टैक्स के पांच स्लैब के चलते बड़े कारोबारी परेशान तो हो ही रहे हैं, छोटे कारोबारी भी काफी मुसीबत झेल रहे हैं। कारोबारियों ने तीन स्लैब की वकालत की है। व्यापारियों का यह भी कहना है कि कमोडिटी के नाम को लेकर जो कोड दिए गए हैं, वे भी समस्याएं पैदा कर रहे हैं। कारोबारी चाहते हैं कि एक प्रकार के कारोबार का कोड एक ही कर दिया जाए, इससे ऑनलाइन समस्याएं काफी हद तक दूर हो जाएंगी। इससे शैम्पू, डियोडरेंट, टूथपेस्ट, शेविंग क्रीम, आफ्टरशेव लोशन, जूतों की पॉलिश, चॉकलेट, च्यूइंग गम तथा पोषक पेय पदार्थ जैसी वस्तुएं अब सस्ती हो जाएंगी।