जयपुर रग्स’ वेबसाइट के माध्यम से देता है कारीगरों को उनका वाज़िब हक़

वास्तव में व्यवसाय के साथ-साथ अनेकों लोगों की भलाई सम्भव है। इसका एक बेहतरीन उदहारण जयपुर स्थितसामाजिक उद्यम ‘जयपुर रग्स’ है। अपने संस्थापक के मजबूत मूल्यों पर आधारित, पूरे परिवार के आशीर्वाद से पल्लवित ‘जयपुर रग्स’ की शुरुआत नंद किशोर चौधरी द्वारा 1978 में की गयी थी और तब से ‘जयपुर रग्स’ ने एक लंबा सफर तय किया है।

अपने सिद्धान्तों और मूल्यों के धनी नन्द किशोर चौधरी कहते हैं- मैंने अपनी खुद की कंपनी ‘जयपुर रग्स’ बिलकुल शून्य से शुरू की थी और आज पाँच करोड़ से शुरू की गयी यह कंपनी, एक सौ पच्चासी करोड़ के व्यवसाय तक पहुंच गयी है।” यह व्यापार जो सिर्फ 09 कारीगरों के साथ शुरू किया गया था, आज काफी बड़ा हो गया है और आज इसका भारत में 4000 कारीगरों और 40 देशों के ग्राहकों का नेटवर्क है।

यह सामाजिक उद्यम, यहां दूरस्थ गांवों के कारीगरों के साथ भी काम करता है और सतत आजीविका उपलब्ध कराने में उनकी सहायता करता है। वो बताते हैं, “दो करघे अपने घर पर लगाकर हमने 9 बुनकरों के साथ काम शुरू किया था। शुरुआत में जो सबसे बड़ी चुनौती हमारे सामने आयी वो ये कि हमारे साथ उस वक़्त जो काम करने वाले सारे बुनकर थे वो हरिजन, चमार और बेगर जाति से थे, जिनको अछूत कहा जाता है। मैं जानता था कि हमारे समाज में, परिवार में भी, बहुत अधिक आडम्बर है, वास्तव में लोग अंदर से कुछ और हैं और बाहर से कुछ और हैं और इन सब से ऊपर मुझे इन लोगों में ज्यादा सरलता दिखाई दी तो एक तरह से मेरा प्रेम उन लोगों के प्रति इतना बढ़ता चला गया कि एक दिन ये परिवार 40000 लोगों के परिवार में परिवर्तित हो गया।” ‘जयपुर रग्स’ अनिवार्य रूप से एक ई-कॉमर्स मंच है। इसकी वेबसाइट अपने ग्राहकों के लिए एक प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करती है और सभी के लिए ब्रांड जिन चीजों के लिए जाना जाता है, उसका प्रतिनिधित्व करती है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय अपील के साथ एक उपयुक्त डोमेन नाम का चुनाव करना उनकी सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक और महत्वपूर्ण था।

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए नन्द किशोर चौधरी कहते हैं, “क़ालीनों की इस मूल्य श्रृंखला में ग्राहकों का बहुत शोषण हुआ है, साथ ही बुनकरों का भी शोषण हुआ है। तो हमने सोचा कि क्यों न हम हमारे सम्बंधित सारे हितधारकों को शिक्षित करें जिस से हमारी इस कोशिश की कहानी उन तक पहुँच सके और उन सभी लोगों से हमारा एक भावनात्मक रिश्ता बन सके और इसी उद्देश्य के साथ हमने अपनी इस वेबसाइट की शुरुआत की। हमने डॉट कॉम को चुना, क्योंकि डॉट कॉम एक तो ग्लोबल है, दूसरे याद रखने में, बोलने में, बहुत सहज है।”

 

(साभार – योर स्टोरी)

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