कोलकाता -भारतीय भाषा परिषद में आयोजित युवा कवि सम्मेलन को संबोधित करते हुए ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह ने कहा है कि विश्व की नई स्थितियों में अपने दुर्भाग्य से लड़ते हुए हिंदी की जनप्रियता बढ़ी है। कवि का काम है कि वे अपनी भाषा को समृद्ध करे। युवा कवियों से बड़ी आशाएँ हैं। उन्होंने अपनी कविताओं के पाठ से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। ‘कुंभनदास के प्रति’ कविता में कहा कि एक दिल्ली में कई सीकरी हैं, जबकि ‘संतन को कहा सीकरी सो काम’। मैं दिल्ली में रहता हूँ, पर मेरा मन गाँव में बसता है। सभा की अध्यक्षता करते हुए डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि कवि मानवता के सांस्कृतिक विश्वदूत हैं, वे संकीर्णताओं से मुक्त होते हैं। उन्होंने कहा कि दिसंबर में परिषद कवि केदारनाथ सिंह के सान्निध्य में युवा कवियों के लिए कविता कार्यशाला आयोजित करेगी जैसा 1984 में नागार्जुन के सान्निध्य में आयोजित की गई थी। कवि सम्मेलन में वरिष्ठ कवि मानिक बच्छावत और आलोक शर्मा के अलावा सेराज खान बातिश, निर्मला तोदी, विमलेश त्रिपाठी, निशांत, आनंद गुप्ता, डॉ.शुभ्रा उपाध्याय, राहुल शर्मा, रितेश पांडेय, विजय शर्मा, सुषमा त्रिपाठी, धर्मेन्द्र राय ने अपनी कविताओं का पाठ किया।