नयी दिल्ली : मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में देश के युवाओं में शोध के प्रति रुझान दोगुना तेजी से बढ़ रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार सत्र 2018-19 में करीब 41 हजार छात्रों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई है।
पिछले पांच साल में हुई इस बढ़ोतरी का श्रेय काफी हद तक सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को भी जाता है। साल 2014 के बाद से सरकार लगातार शोध को बढ़ावा देने के लिए जुटी हुई है। पिछले बजट में सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर का शोध प्रतिष्ठान खोलने की घोषणा की थी। हालांकि अभी तक यह खुला नहीं है, पर इस पर काम जारी है। इसके अलावा शोधकर्ताओं के मानदेय में भी बढ़ोतरी की गई, इसे भी एक बड़ी पहल माना जा रहा है। बता दें कि पहले जेआरएफ यानी जूनियर रिसर्च फेलोशिप का मानदेय 28 हजार था, अब इसे बढ़ाकर 31 हजार रुपये कर दिया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक शोध को लेकर यह रुझान हालांकि पूरे देश में एक बराबर नहीं है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार असम, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में पिछले पांच वर्षों में शोध (पीएचडी) के मामले बढ़े हैं। जबकि दिल्ली, बिहार, झारखंड जैसे राज्यों में इनमें कमी सामने आई है।
रिपोर्ट के मुताबिक देश में साल 2014-15 में जहां कुल 21 हजार छात्रों को पीएचडी की उपाधि प्रदान की गई है, वहीं साल 2018-19 में यह संख्या बढ़कर करीब 41 हजार हो गया है। संसद में पेश की गई इस रिपोर्ट के मुताबिक पीएचडी के मामले में यह बढ़ोतरी अचानक नहीं हुई है।
जहां साल 2014-15 में देशभर में कुल 21 हजार छात्रों को पीएचडी की उपाधि दी गई, वहीं 2015-16 में यह 24 हजार हुई, 2016-17 में करीब 28 हजार, 2017-18 में करीब 34 हजार और अब 2018-19 में करीब 41 हजार छात्रों को पीएचडी उपाधि दी गई है।