स्वार्थ से परमार्थ तक,
विरोध से बलिदान तक !
भारतीयता का मान धरो,
अपनी स्वतंत्रता का उचित सम्मान करो!!
बढ़ो आगे, महज भारतीयता की,
कागजी पहचान से…
देश का सम्मान करो , सच्चे जी-जान से !
सहेजो अपनी स्वतन्त्रता को,
आन-बान और शान से!!
व्यर्थ न लाओ बीच में,
साम्प्रदायिक अभिमान को !
बढ़ाओ आपसी सौहार्दता ,
एक-दूजे के मान सम्मान से !!
संकीर्णता से मुक्त हो,
विचारों से उन्मुक्त बनो!
कर्म से महान बनो,
धर्म से समान रहो !!
अपनी जाति, राष्ट्र का,
दिल से “तुम” सम्मान करो !
स्वतन्त्र हो , स्वतंत्र रहो…..
“स्वतन्त्रता” का मान रखो !!