डॉक्टरों की टीम ने गर्भाश्य का सफल प्रत्यारोपण करने का दावा किया है। भारत में यह अपनी तरह की पहली गर्भाश्य प्रत्यारोपण सर्जरी है। एक महिला के गर्भाश्य को उसकी 21 वर्षीय बेटी में प्रत्यारोपित किया गया है।
यहां ग्लैक्सी केयर लैपरोस्कोपी इंस्टीट्यूट में डॉक्टर शैलेश पुंतांबेकर के नेतृत्व में 12 डॉक्टरों की टीम ने इस सर्जरी को बृहस्पतिवार को 12 बजे दोपहर को शुरू किया और यह सर्जरी रात्रि 9 बजकर 15 मिनट पर समाप्त हुई।
डॉक्टर पुंतांबेकर का कहना है कि युवती का जन्म बगैर गर्भाश्य के हुआ था और मरीज चाहती थी कि उसकी अपनी संतान हो। इसके लिए वह गोद लेने या सेरोगेसी को तैयार नहीं थी। इसके बाद उसे गर्भाश्य प्रत्यारोपण के बारे में जानकारी मिली और फिर उसने हमसे संपर्क किया और सर्जरी के विकल्प को स्वीकार कर लिया।
सौभाग्य से उसकी मां का गर्भाश्य चिकित्सीय रूप से स्वस्थ था और वह अपनी बेटी को अपना गर्भाश्य देने को तैयार हो गई। गर्भाश्य प्रत्यारोपण के बाद युवती को निगरानी में रखा गया है और कुछ दिनों तक वह इंटेंसिव केयर यूनिट में रहेगी। डॉक्टर पुंतांबेकर ने कहा कि यह भारत में पहला गर्भाश्य प्रतिरोपण है। दुनिया में पहली बार गर्भाश्य का सफल प्रतिरोपण स्वीडन में 2013 में किया गया था। दुनिया में अब तक इस प्रकार की 25 सर्जरी हो चुकी हैं।