कहते हैं हर सफल आदमी के पीछे एक महिला का हाथ होता है। इसरो के बारे में भी कुछ ऐसा ही कहा जा सकता है। यहां हर स्पेस मिशन के पीछे इन 8 महिलाओं का हाथ है। आज हम आपको इसरो की उन 8 महिलाओं से रूबरू करवाने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से इसके हर मिशन को सफल बना दिया। मार्स मिशन में 20% महिला वैज्ञानिक काम कर रही हैं।
ऋतु करिधाल
ऋतु जब छोटी सी थीं तो सोचा करती थीं कि चांद कुछ-कुछ समय पर छोटा-बड़ा क्यों होता रहता है। वो ये भी सोचती थीं कि चांद के काले वाले हिस्से का रहस्य क्या है। आज सालों बाद वो मार्स ऑर्बिटर मिशन की डिप्टी ऑपरेशन्स डायरेक्टर हैं। बचपन में उन्होंने स्पेस साइंस के बारे में हर बात जाननी चाही और आज वो अपने सपने को पूरा कर रही हैं।
मौमिता दत्ता
ये मार्स मिशन की प्रोजेक्ट मैनेजर हैं। इन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एप्लाइड फिजिक्स में एम. टेक किया है। आज वो ‘मेक इंडिया इनिशिएटिव’ की टीम की हेड हैं जो कि ऑप्टिकल साइंस में भारत के विकास के लिए अग्रसर है।
नंदिनी हरिनाथ
नंदिनी ने बचपन में स्टार्क ट्रेक सीरीज़ देखी, इसके बाद से ही इनकी साइंस में रुचि बढ़ गई। इनके परिवार में इंजीनियर, टीचर आदि भरे पड़े हैं जिस वजह से बचपन से ही ये विज्ञान की तरफ़ आकर्षित होती थीं। आज इन्हें 2000 रुपए के नोट पर मार्स ऑर्बिटर मिशन की तस्वीर देखकर बहुत गर्व होता है। ये इस मिशन की डिप्टी डायरेक्टर हैं। ये बेहद मेहनती महिला हैं। इस मिशन के पूरा होने के कई दिन पहले तक ये अपने घर नहीं जाती थीं बल्कि लगातार काम कर रही थीं।
अनुराधा टी.के.
ये इसरो की वरिष्ठ महिला अधिकारी हैं। जब अनुराधा केवल 9 वर्ष की थीं, तभी उन्होंने ये तय कर लिया था कि वो बड़ी होकर स्पेस साइंटिस्ट बनेंगी। वहां नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर कदम रखा था और यहां अनुराधा के दिल में अंतरिक्ष को जानने की लालसा और बढ़ गई थी। ये इसरो की सभी महिला कर्मचारियों के लिए एक उदाहरण हैं। अनुराधा कहती हैं कि कभी-कभी काम करते वक़्त वो ये भूल जाती हैं कि वो एक महिला हैं क्योंकि इसरो में सभी को एक तरह से देखा जाता है।
एन. वलरमाथी
इन्होंने भारत में बने पहले रडार RISAT-1 के लॉन्च में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसरो में किसी सैटेलाइट मिशन का नेतृत्व करने वाली ये दूसरी महिला हैं। ये 52 साल की हैं और इन्होंने पूरे तमिलनाडु का नाम रौशन किया है।
मीनल संपथ
इन्होंने इसरो में 500 वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व किया। लगातार 2 सालों तक उन्होंने कोई छुट्टी नहीं ली। मीनल इसरो की पहली महिला डायरेक्टर का पद संभालना चाहती हैं। हम आशा करते हैं कि इनका ये सपना ज़रूर पूरा होगा।
कृति फौजदार
कृति इसरो की उस टीम का हिस्सा हैं जो सारे मिशन को सफल बनाने की हर संभव कोशिश करता है। कृति की टीम मिशन के समय आने वाली हर दिक्कत पर अपनी पैनी नज़र बनाए रखती है। इनको कभी-कभी लगातार काम करना पड़ता है लेकिन इससे इन्हें कोई फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि इन्हें अपने काम से प्यार है।
टेसी थॉमस
वैसे तो टेसी डी आर डी ओ के लिए काम करती हैं लेकिन उनका इस लिस्ट में होना बहुत ज़रूरी है। इनकी मेहनत की वजह से ही भारत को ICBMs (इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल्स) क्लब में हिस्सा बनने का मौका मिला है। यही कारण है कि इन्हें अग्नि पुत्री भी कहा जाता है।
आज इसरो में 16000 से भी अधिक महिलाएं कम कर रही हैं। और यहां महिलाओं की संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। ये महिलाएं पूरे भारत के लिए गर्व करने का एक कारण हैं। हर लड़की और महिला को इनके बारे में पढ़ना चाहिए जिससे उनमें हर समय कुछ नया करने की इच्छा बनी रहे और वो खुद को पुरुषों से कम न समझें।
(साभार – अमर उजाला)