वह बचपन पास बुलाता है

दियली का तराजू लिए आया बेटा मेरा
अचानक सम्मुख मेरे
कहा! मॉम्स मैजिक देखो
मेरा तराजू
देखते ही तराजू कौंध गया गुजरा बचपन
दिवाली…दिवाली…हाँ, दिवाली
हमजोलियों संग कूदती -फाँदती
दियों को ताक पर, छत पर, मुंडेर पर
कभी इस ताक, कभी उस ताक
कितना उत्साह, कितना आनन्द
कौंध गया, आजी का दलिद्दर
वो सूप खड़खड़ाना।
मेरा उनके साथ जाना, ईश्वर पैठे,
दलिद्दर निकले
कहतीं औरतों का झुंड
कौंध गया। हाँ, कौंध गया
भोर के अन्धेरे में
इस ताक से उस ताक
सबसे ज्यादा दियलियों को बीनना
बड़ी कशमकश के साथ
होड़ा – होड़ी में
दियलियों में छेद बनाना
वो तराजू बनाना,
दुकान सजाना
माटी के भूरे का आटा बनाना
सिटकियों का चावल, दाल बना
वो बालू की चीनी,
खोपड़े के बुरादों की हल्दी
कंकड़ों को बटखरा
सब कौंध गया, एक क्षण में
होठों पर एक स्मित रेखा भींच गयी
कहाँ गया वो बचपन
माटी के दियों की वह सोंधी खुशबू
सब कहाँ गये
झालरों की जगमगाहट
आँखों को सुहाती है
पर, मन का भोलापन
वो उमंग, वो उत्साह
हमजोलियों संग बेपरवाही
सबकी कमी सताती है।
जीवन के इस मेले में
एकाकीपन सताता है।
वो बेपरवाह जिन्दगी
मुझे अपने पास बुलाता है।

 

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

2 thoughts on “वह बचपन पास बुलाता है

  1. डा. साधना झा says:

    वाह सुषमा… बचपन की यादों को सुंदर से संजोया है

Comments are closed.