Sunday, October 12, 2025
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वर्षों बाद दिवाली पर दिल्ली-एनसीआर में फूटेंगे पटाखे

– सुप्रीम कोर्ट ने दी अनुमति 
नयी दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिवाली के दौरान पांच दिनों के लिए दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पटाखों की बिक्री और फोड़ने की अनुमति दी जाएगी। यह राजधानी में वर्षों बाद कानूनी आतिशबाजी के साथ पहला त्यौहारी सीजन हो सकता है, हालांकि पर्यावरण विशेषज्ञों और न्यायमित्र ने प्रवर्तन खामियों को लेकर चिंता जताई है। मुख्य न्यायाधीश भूषण आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने यह फैसला तब लिया जब केंद्र सरकार ने एक प्रस्ताव दिया कि सिर्फ “ग्रीन पटाखे” (जो कम प्रदूषण करते हैं) को ही बेचने और फोड़ने की इजाजत दी जाए। ये पटाखे राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान द्वारा अनुमोदित हैं। पीठ ने कहा: “फिलहाल, हम इसे दिवाली के पांच दिनों के दौरान ट्रायल के आधार पर अनुमति देंगे। यह टिप्पणी तब आई जब केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में एक विस्तृत प्रवर्तन योजना पेश की। इस में कहा गया है कि पटाखों की बिक्री सिर्फ लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों को ही करने दी जाएगी, और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर पटाखों की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित होगी। सरकार ने वादा किया कि पारंपरिक पटाखों (पुराने प्रकार के पटाखे) पर प्रतिबंध जारी रहेगा। हालांकि, केंद्र ने यह छूट सभी त्योहारों पर लागू की जाने की मांग की। सरकार ने पटाखे फोड़ने के लिए सख्त समय सीमा प्रस्तावित की: दिवाली और प्रमुख त्योहारों पर रात 8 बजे से 10 बजे तक। नए साल की पूर्व संध्या पर रात 11.55 बजे से 12.30 बजे तक। और गुरुपर्व के लिए सुबह और शाम एक घंटे का समय। इसके अलावा, सरकार ने कहा कि शादियों और निजी समारोहों में भी पटाखों के सीमित उपयोग की अनुमति दी जा सकती है। सुनवाई के दौरान, मेहता ने अदालत से दिवाली के समय में ढील देने का अनुरोध किया और तर्क दिया कि बच्चों को दो घंटे के उत्सव तक सीमित नहीं किया जाना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल ने कहा, “दिवाली कुछ ही दिनों की बात है। बच्चों को धूमधाम से दिवाली मनाने दें।” विशेषज्ञों ने इस तरह के कदम पर बार-बार चिंता जताई। उन्होंने कहा कि 2018 से 2020 के बीच जब “ग्रीन पटाखों” की नीति लागू की गई थी, तब भी प्रदूषण स्तर में कोई कमी नहीं आई थी। उनका तर्क है कि जमीनी स्तर पर ग्रीन पटाखे और पारंपरिक पटाखों में फर्क करना लगभग असंभव है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बच्चे और बूढ़े वायु प्रदूषण से सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि मौसम और हवा की स्थिति, और कृषि अपशिष्ट जलाना, ज्यादातर पंजाब में, वर्ष के इस समय क्षेत्र में वायु प्रदूषण में वृद्धि के लिए जिम्मेदार हैं।

 

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