हर माँ चाहती है कि उसकी बेटी में आत्मविश्वास कूट-कूटकर भरा हो ताकि जीवन के हर मोड़ पर वह परिस्थितियों का बहादुरी से सामना कर सके। वहीं यह भी सच है कि पारिवारिक एवं सामाजिक दबाव के कारण वे बेटियों को लेकर न सिर्फ ओवर प्रोटेक्टिव हो जाती हैं बल्कि परिवार की शांति बनाये रखने के लिए वे सही होने पर भी अपनी बेटियों के साथ खड़ी नहीं होती। इसका सीधा असर बेटियों के आत्मविश्वास पर पड़ता है और अपने जीवन की पहली लड़ाई में ही कमजोर पड़ जाती हैं।
आप चाहती हैं कि आपकी बेटी को आपसे बेहतर जीवन मिले तो जरूरी है कि आप उसे समझें। जब वह सही हो तो मजबूती से उसका पक्ष लें और समस्या होने पर उसका पक्ष सुनें और इसके बाद फैसला लें।
बेटियों में आत्मविश्वास को मजबूत करने के लिए बेहद जरूरी है कि बचपन से ही उनकी परवरिश के वक्त उनको चुनौतियों का सामना करने दें, उन्हें किसी चीज को लेकर रोके-टोके नहीं बल्कि उनके आत्मविश्वास को मजबूत बनाने के लिए हर संभव कोशिश करें।
कुछ वक्त पहले 8 से 14 साल की 14,00 लड़कियों पर एक सर्वे हुआ था। इसमें इन लड़कियों के आत्मविश्वास में 30 फीसदी से ज्यादा गिरावट बताई गई थी। सर्वे में कहा गया था कि चार में से तीन लड़कियां असफलता को लेकर डरती हैं और ये ही वजह है कि उनके भीतर आत्मविश्वास मजबूती से नहीं आ पाता।
अगर आप भी चाहती हैं कि आपकी बेटी में आत्मविश्वास मजबूत हो तो सबसे पहले उसका कंफर्ट जोन तोड़े और उसे जोखिम उठाने दें। अक्सर घरों में लड़कियों पर कई तरह की रोक टोक लगा दी जाती है।
घर से अकेले बाहर निकलने से लेकर रात के वक्त अकेले आने तक उनके मन में कई तरह का डर भर दिया जाता है। ऐसे में वे हर वक्त एक कंफर्ट जोन में रहती हैं और चुनौतियां का सामना करना नहीं सीख पाती हैं।
आत्मविश्वास के लिए जरूरी है, बेटियों की सराहना करना। अपनी बेटी की सराहना करें। भविष्य के खतरों को लेकर सूची बनाकर बेटियों को बताएं कि उनका सामना कैसे करें और इन चुनौतियों से कैसे निपटे।
उसे अपने काम खुद करने दें, फैसले खुद लेने दीजिए तभी उनमें आत्मविश्वास पनपेगा।