इजरायली बायोटेक फर्म कोलप्लांट के वैज्ञानिकों ने तम्बाकू के पौधे से कृत्रिम फेफड़े बनाने का रास्ता खोजने का दावा किया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, तम्बाकू के पौधे को आनुवांशिक तौर पर सुधार कर कोलेजन नाम का प्रोटीन बनाया जा सकता है। इसके बाद थ्रीडी तकनीक के जरिए वैज्ञानिक कोलेजन से बनी खास स्याही का इस्तेमाल कृत्रिम फेफड़ों के विकास में कर सकते हैं। इसमें मानव कोशिका डालकर स्वस्थ फेफड़े को ट्रांसप्लांट के लिए तैयार किया जा सकता है।
कोलेजन प्रोटीन त्वचा और जोड़ों के ऊतकों में पाया जाता है। इसके अणु कोशिकाओं के विकास में सहायक ढांचे का काम करते हैं। वैज्ञानिकों ने बताया कि जेनेटिकली मोडिफाइड तम्बाकू के पौधे से 8 हफ्ते में कोलेजन का निर्माण शुरू किया जा सकेगा। पत्तियों को खास प्रक्रिया से गुजारने के बाद कोलेजन इकट्ठा कर इसे एक स्याही में बदल दिया जाएगा।
यूएस की एक फर्म यूनाइटेड थैरेप्यूटिक्स एक ऐसा थ्रीडी प्रिंटर विकसित करने पर काम कर रही है, जिसके जरिए कृत्रिम फेफड़े बनाए जा सकें। इस तरह के प्रिंटर का इस्तेमाल त्वचा और रेटिना बनाने में किया जा चुका है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि फेफड़े के निर्माण के लिए तकनीकी रूप से ज्यादा सक्षम प्रिंटर का इस्तेमाल करना होगा, जो कोलेजन के बड़े अणुओं को संभाल सके। क्योंकि, रोशनी पड़ने पर ही कोलेजन अणु आपस में जुड़कर सख्त हो जाते हैं।
अभी तक वैज्ञानिकों ने फेफड़ों के ऊतकों का केवल एक छोटा सा हिस्सा तैयार किया है। कोशिकाओं की सहायता से पूरा फेफड़ा विकसित करने पर काम जारी है। हालांकि, जानवरों पर किए गए प्रयोगों में सामने आया है कि यह प्रक्रिया कारगर हो सकती है।
यूके स्टेम सेल फाउंडेशन के मुख्य वैज्ञानिक प्रोफेसर ब्रेंडन ने कहा कि तम्बाकू के पौधे से बने फेफड़ों में ट्रांसप्लांट सर्जरी को पूरी तरह बदल देने की क्षमता होगी। हो सकता है कि अगले 10 सालों में यह हमारे सामने मौजूद हो। लेकिन, अभी बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना है।
ब्रेंडन ने कहा- अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि कोशिकाओं के साधारण ढांचे को फेफड़े जितने बड़े और पेंचीदा अंग में विकसित किया जा सकता है कि नहीं।